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हाई कोर्ट का बिल गेट्स को झटका।

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🛑 डॉ स्नेहल लुनावत की कोरोना टीके से मौत मामले में हाई          कोर्ट ने जारी किया नोटिस।   🛑 सुप्रीम कोर्ट ने भी रचना गंगू मामले में केंद्र को जारी किया           नोटिस।   🛑 पीड़िता के परिवार की १००० करोड़ रुपये के मुआवजे की           मांग  पर नोटिस जारी।   🛑 केंद्र सरकार ने माना की मौत कोविशील्ड के दुष्परिणाम            की वजह से हुई।   🛑 सिरम  इंस्टिट्यूट के   अदार   पूनावाला, AIIMS के डॉ            रणदीप गुलेरिया,  डॉ.  वि जी सोमानी,  स्वस्थ मंत्रालय              सहित ९ उत्तरवादियों को नोटिस जारी।   🛑 टीके के दुष्परिणाम छुपाने वाले यू ट्यूब, फेसबुक समेत मैं          स्ट्रीम  मीडिया  पर करवाई के  मामले में  भी केंद्र  को देना           होगा  जवाब।   🛑 कोरोना के  टीके के  जानलेवा  दुष्परिणामों को छुपा कर          टीका  पूर्णतः सुरक्षित है ऐसा झूठा प्रचार करके लोगों को            धोखे से टीका  देने वाले डॉक्टर्स, सरकारी अधिकारी और          टीका कंपनियों  के मालिकों पर होगी कानूनी करवाई।   🛑 देश भर से पीड़ितों द्वारा कंपनियों पर केसेस दायर।   🛑 पीड़ितों को मुआवजा

बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार के बाद पीछे हटी महाराष्ट्र सरकार।

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♦️   मास्क ना लगाने पर कोई जुर्माना नहीं। ♦️ लौटाना होगा अब तक वसूला गया सारा जुर्माना। ♦️ दोषी मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, BMC मार्शल, कमिश्नर इक़बाल चहल , सुरेश काकाणी  के खिलाफ IPC 384, 385, 420, 409, 120(B), 109, 52 आदी धाराओं के तहत होगी कारवाई। ♦️ ‘अव्हेकन इंडिया मुव्हमेंट’ (AIM)  और ‘इंडियन बार एसोसिएशन’ (IBA) के प्रयासो को मिली एक बड़ी सफलता। ♦️ मुंबई हाय कोर्ट ने सरकार  को लगाई फटकार, कहा मुख्य सचिव सीताराम कुंटे के आदेश गैरकानूनी।                                     एडवोकेट निलेश ओझा                                      राष्ट्रीय अध्यक्ष                             इंडियन बार  एसोसिएशन आपदा प्रबंधन कानून 2005  में मास्क ना लगाने पर जुर्माना लेने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन महाराष्ट्र के   पूर्व मुख्य सचिव सीताराम कुंटे  ने पद का दुरूपयोग करते हुए महाराष्ट्र के नागरिको पर मास्क ना पहनने पर पहले 200 रूपये   और बादमे 500 रूपये  का जुर्माना लगाने का गैरकानूनी आदेश जारी किया।   यह बात हाईकोर्ट के ध्यान में तब लाई गई जब टीका (Vaccine) की जबरदस्ती करने वाले आदेश के खिलाफ क

Grand victory for IBA & AIM in student vaccination case.

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♦️  No mandatory vaccine for students. Telling death causing & all side effects of vaccines and taking written consent/permission from parents is mandatory before vaccinating students. ♦️    No restriction of vaccination certificates in exams. ♦️State Education Department’s Dy. Director issues circular.    After meeting with Awaken India Movement (AIM)  team and going through all the documents including IBA’s Notice, case laws and RTI Reply, the Dy. Director of Education Shri. Deepak Chavne, has issued a new circular on 14th February, 2022 asking  all the Divisional Director of Education and all Education officers of Zilla Parishad to not to force any student to get vaccinated. It is further intimated that every student and his parent must be told about everything regarding vaccine (which includes death causing and other side effects) and , students can be vaccinated only after getting written permission from parents. A copy of said letter is also marked to Dr. Sachin Pethkar, AIM,

विद्यार्थ्यांना परीक्षेला बसण्यासाठी लसीची सक्ती नाही

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   ♦️ लसीचे जीवघेणे व इतर सर्व दुष्परिणाम सांगून पालकांची संमती घेवूनच विद्यार्थ्यांना लस द्या. अन्यथा लस देवू नका. ♦️ शिक्षण उपसंचालक दिपक चवणे यांचे आदेश. ♦️ अव्हेकन इंडिया मूव्हमेंटच्या पाठपुराव्यामुळे राज्यभरातील विद्यार्थांना दिलासा ♦️ अव्हेकन इंडिया मूव्हमेंट (AIM) आणि इंडियन बार असोसिएशन (IBA) च्या प्रयत्नांना यश. पुणे  :- कोरोना लसीमुळे विद्यार्थांना जीवघेणे दुष्परिणाम होत असताना व त्याची माहिती लस देण्याआधी सांगणे हे संबंधीत अधिकाऱ्यांना बंधनकारक आहे . परंतू अशी माहिती न देता तसेच शासनातर्फे लस देणे बंधनकारक नसताना सुद्धा काही शाळांकडून व शिक्षण विभागांशी संबंधित काही अधिकाऱ्यांतर्फे  परीक्षेला बसण्यासाठी लसीची सक्ती करण्यात येत असल्याबाबतच्या तक्रारी अव्हेकन इंडिया मूव्हमेंट (AIM) ला राज्यभरातून प्राप्त झाल्या होत्या. त्यासंदर्भात अव्हेकन इंडिया मूव्हमेंट (AIM)  चे पुणे येथील डॉक्टर सचिन पेठकर  सह प्रतिनिधी मंडळाने शिक्षण उपसंचालक यांची भेट घेऊन सर्व कायदेशीर कागदपत्रे ‘ इंडियन बार असोसिएशन’  ची नोटीस आणि उच्च, सर्वोच्च न्यायालयाचे निवाडे देऊन सर्व गैरप्रकार त्वरित र

लस सक्तीप्रकरणात उच्च न्यायालयात खोटे शपथपत्र दाखल केल्याप्रकरणी महाराष्ट्राचे मुख्य सचिव देबाशिष चक्रबर्ती व आरोग्य विभागाच्या डॉ. साधना तायडे यांच्याविरुद्ध फौजदारी कारवाईची मागणी.

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1.1. याचिकाकर्त्यातर्फे अतीरीक्त पुरावे व शपथपत्र उच्च न्यायालयात दाखल.  1.2. तज्ञांचे सल्ले न मानता नागरिकांच्या हजारो कोटींचा दुरुपयोग करुन बेकायदेशीर नियम बनवून आधीच सुरक्षित असलेल्य लोकांना सक्तीने लस देवून त्यांचे जीव धोक्यात घालणारे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व इतर यांच्याविरुद्ध भादवि 166, 52, 409, 304-A, 115, 120(B), 34, 109 आदी कलमांअंतर्गत फौजदारी कारवाईची मागणी.  1.3.  सरकारचा हेतू जनतेच्या हिताचा नसून भ्रष्टाचार करण्याचा असल्याचा आरोप. भाजपाचे किरीट सौमैय्या यांनी ठाकरे सरकारच्या हजारो कोटींच्या कोरोना घोटाळ्यांसंबंधी जारी  केलेली पुस्तिका उच्च न्यायालयात पुरावा म्हणून दाखल.  1.4. लस सक्ती, लॉकडाऊन किंवा इतर कोणतेही निर्बंध लावल्यास साथरोग अधिनियम, 1897 चे कलम 2 व आपत्ती व्यवस्थापन अधिनियम, 2005 चे कलम 12 व 13 नुसार राज्य सरकारने सर्वांना नुकसान भरपाई देने बंधनकारक असल्यामुळे उच्च न्यायालयाने तसे आदेश करण्याची मागणी.                                   एडवोकेट निलेश ओझा                                      राष्ट्रीय अध्यक्ष                             इंडियन बार  एसोसिएशन      

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर टीकाकरण की जबरदस्ती रोकने में विफलता और गैर कानूनी आदेश देने वाले गुजरात और मेघालय हाई कोर्ट के जज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर।

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   🔶 सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट  जज सी. एस. कर्णन को कोर्ट अवमानना में 6 महीने जेल भेजा था। 🔶 आरोपियों को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत लेकर गैर कानूनी आदेश पारित करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के जज शमीत मुखर्जी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 🔶 ऐसे ही मामलों में हाई कोर्ट जज निर्मल यादव और जज शुक्ला के खिलाफ सी.बी.आई ने आरोपपत्र दायर किया है। 🔶 आरोपी जजेस द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर टीका कंपनियों को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचाने और देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तथा लोगों के मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का हनन रोकने की बजाय आरोपी अधिकारियों की प्रशंसा करने के लिए झूठे सबूतों का इस्तेमाल  करने का आरोप है। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (INDIAN PENAL CODE) की धारा 409, 166, 52, 115, 304-A, 307, 218, 219, 192, 193, 471, 474 आदि धाराओं के तहत  कार्यवाही की मांग की गई है। 🔶 मेघालय हाई कोर्ट  के चीफ जस्टिस संजीव बनर्जी को पहले ही एक सजा के तहत 60 जजेस वाले मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद से हटाकर 4 जजेस वाले मेघालय हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया जा चुका है। 🔶 इमानदार जजेस और

यवतमाळच्या जिल्हाधिकाऱ्याविरोधात सुप्रीम कोर्टात याचिका दाखल.

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 ♦    महाराष्ट्र शासनाच्या बेकायदेशीर मास्क व लस सक्तीकरणाच्या आदेशांविरुद्ध सर्वोच्च न्यायालयात याचिका दाखल. सुनावणी १३ डिसेंबर रोजी. ♦ केन्द्र सरकारतर्फे याचिकाकर्त्यांना पाठींबा. देणारे शपथपत्र सर्वोच्च न्यायालयात दाखल. लस न घेतल्यामुळे कोणत्याही व्यक्तीस कोणत्याही सेवा वा सुविधांपासून वंचित करता येणार नसल्याचा केन्द्र सरकारचा पवित्रा.  ♦ मानव अधिकार सुरक्षा परिषदेचे मुरसलीन अ. शेख यांनी दाखल केली याचिका.                                                            मुरसलीन अ.शेख                                 जिल्हा अध्यक्ष                       मानव अधिकार सुरक्षा परिषद ♦ देशभरातील प्रत्येक राज्यातील नागरिकांकडून ३0 याचिका दाखल आणखी अनेक याचिका दाखल होणार. महासचिव रशीद खान पठाण तर्फे दाखल होणार दोन नविन याचिका.  ♦ देशभरातील विविध वकिल संघटना व इंडियन बार असोसिएशन चा याचिकाकर्त्यांना पाठींबा.  ♦ ५०० वकिल मांडणार याचिकाकर्त्यांची बाजू.  ♦ केन्द्र सरकारच्या शपथपत्रामुळे महाराष्ट्र सरकारची कोंडी.  ♦ दोषी जिल्हा अधिकाऱ्यांविरुद्ध भादवि 166, 115, 52, 409, 120(B), 34, 109 आणी