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Showing posts from October, 2021

[बिग ब्रेकिंग] भ्रष्ट सरकार और व्हॅक्सीन माफियाओं को योरोपियन सुप्रीम कोर्ट का झटका.

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∆           जबरदस्ती टीकाकरण का सरकार का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगित. ∆             यूरोप के स्लोवानिया देश की पुलिस  फोर्स और सरकारी अधिकारियों ने विरोध में दायर की थी याचिका. ∆        भारत के देशभर से कई सरकारी अधिकारियों, पुलिसकर्मियों, एअर फोर्स सदस्यों द्वारा निर्णय का स्वागत. ∆          भारत में भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं द्वारा 80,000 करोड़ का भ्रष्टाचार. यूरोप के स्लोवानिया देश की सरकार द्वारा पुलिस तथा सभी सरकारी कर्मचारियों को नौकरी बचाने के लिए कोरोना का टीका लेने की शर्त को वहां के संवैधानिक कोर्ट जो भारत के सुप्रीम कोर्ट के  बराबर  है द्वारा स्थगीत  कर दिया है. सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी गई है. कोर्ट ने सरकार की इस दलील को ठुकरा दिया कि टीका लेने से होने वाला फायदा संविधान द्वारा दिए गए  अधिकारों  से बड़ा है. भारत में भी टीका लेना स्वैच्छिक है और किसी भी सरकारी आदेश द्वारा नागरिकों को टीका लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता ऐसा स्पष्ट आदेश उच्च न्यायालय ने पारित किया है. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश    रे दिनथर हादसा बनाम। मिजोरम राज्य 2021 SCC OnLine Gau 1313   मे

[सबसे बड़ा ब्रेकिंग] यूरोपीय पुलिस बल ने सरकार के वैक्सीन जनादेश को चुनौती दी और संवैधानिक न्यायालय ने सरकार को निषेधाज्ञा आदेश के साथ थप्पड़ मारा।

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 ∆       यूरोपीय पुलिस बल ने सरकार के वैक्सीन जनादेश को चुनौती दी और संवैधानिक न्यायालय ने निषेधाज्ञा आदेश के साथ सरकार को थप्पड़ मारा।   ∆        कई भारतीय लोक सेवकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। ∆        वैक्सीन सिंडिकेट और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को बड़ा झटका। मुंबई:-  टीकाकरण को अनिवार्य बनाकर लोगों और लोक सेवकों को गुलाम बनाने की वैक्सीन सिंडिकेट की भयावह योजना के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, यूरोप के स्लोवेनिया के संवैधानिक न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की पीठ ने अपने कर्मचारियों को टीकाकरण कराने के लिए सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है।  उक्त जनादेश को पीएसएस पुलिस ट्रेड यूनियन सहित सिविल सेवकों के कई समूहों द्वारा चुनौती दी गई थी। अदालत ने सरकार के इस दावे से असहमति जताई कि सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण के लिए श्रमिकों के अधिकारों की गारंटी देने के लिए चुनौती दिया गया विनियमन एकमात्र साधन था।  कोर्ट ने माना कि, अगर चुनौती दी गई विनियमन लागू किया गया था और बाद में यह पता चला कि यह गैरकानूनी या असंवैधानिक था और इसे रद्द करना होगा, तो अदालत ने कहा कि मरम्मत करना मुश्किल है, उन कर्

आरोपी अधिकाऱ्यांना गुन्ह्यातून वाचविण्यासाठी मुंबई न्यायालयाच्या न्यायाधीशाने खोटे पुरावे रचुन दलित युवकाच्या मुलभूत अधिकारांचे उल्लंघन व उच्च न्यायालयाची अवमानना केल्याप्रकरणी फौजदारी कारवाई साठी उच्च न्यायालयात याचिका दाखल.

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       ➡️         CCTV   फुटेजमुळेन्यायाधीशाचा     खोटेपणा     उघड .     ➡️           तुरुंगात    जबरदस्तीने    लस   देने    व    हातकड्या     लावण्यासंबंधीच्या   प्रकरणात   गैरकायदेशीरपणा   केल्याप्रकरणी   न्यायाधीश   संजश्री   घरात   यांच्याविरुद्ध   भा . द . वि  . 192,  193,   466,  471, 167, 474,  218, 201  आदी   कलमाअंतर्गत   आणि   कोर्ट   अवमानना   अधिनियम   चे   कलम  12  अंतर्गत   कारवाई   करण्याची   मागणी ➡️          संबंधीत      न्यायधीशास      कायद्याचे      योग्य     ज्ञान    नसून   त्याची   गुन्हेगारी   मानसिकता   आहे   करीता    त्यांच्याविरुद्ध   कठोर   कारवाई   करण्याची   मागणी   याचिकाकर्त्याने   केली   आहे . ➡️          वकिलासंबंधीच्या     नोंदीमुळे     न्यायाधीश   अडचणीत. ➡️          न्यायाधीशाने     पक्षकारांच्या      वकिलांविरुद्ध     कोणतेही   आक्षेपार्ह    गोष्टी   आदेशात   नमूद   करु   नयेत .  जर   एखाद्या   वकिलाचे   केसमधील   वर्तन   फारच   वाईट   असेल   तर   आधी   त्या   वकिलास   नोटीस   देवून   वकिलाने   दाखल   केलेल्या   जबाबा   नंतरच   त्याच्या   वर्तनाची