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क्यों मैं और मेरे सदस्य कोरोना वैक्सीन का प्रायोगिक टीका (Experimental Vaccine) नही लेंगे ।

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  और कैसे मैं अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा विश्व के प्रसिद्ध डॉक्टरों द्वारा बताये गये प्रमाणीत, श्रेष्ठ और सुरक्षित इलाज से करूँगा !!!   एडवोकेट निलेश ओझा इंडियन बार असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और उपरोक्त विचार उनके शुभचिंतकों द्वारा बार बार पूछे जाने वाले सवाल के जवाब में उन्होंने रखे है।                              एडवोकेट निलेश ओझा                                   राष्ट्रीय अध्यक्ष                             इंडियन बार असोसिएशन # कारण 1 #   क्योंकि, मैं स्वस्थ हूँ और वैक्सीन की वजह से मर जाने का खतरा है। मेरे परिचित कई लोगों की मौत वैक्सीन लेने की वजह से हुई है।  [America’s Frontline Doctors White Paper on Covid-19 Experimental Vaccine]. Link:   https://img1.wsimg.com/blobby/go/99d35b02-a5cb-41e6-ad80-a070f8a5ee17/SMDwhitepaper.pdf यह वैक्सीन अभी प्रायोगिक स्तर पर ही है और अभी तक इसका अंतिम परिणाम और प्रामाणिकता सच्चे वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध नहीं हुई है। 26 जून, 2021 को लंदन में 10 लाख लोगों ने एक भव्य मोर्चा निकलकर वैक्सीन, मास्क और लॉकडाऊन तुरंत खत्म करने की मांग की है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भारत सरकार के निर्देशानुसार कोई भी अधिकारी या डॉक्टर आपको कोरोना वैक्सीन या कोई अन्य वैक्सीन लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है

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∆ यदि आप टीका नहीं लगवाना चाहते हैं। तो, आपको यह निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है। ∆ उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है। कि, जिन नागरिकों को पूरी जानकारी के बिना टीकाकरण के लिए मजबूर किया गया है। टीका लगाया गया है। धोखा दिया गया है, या टीकाकरण के लिए मजबूर किया गया है। उन्हें मुआवजे की मांग करने का अधिकार है। ∆ मानवाधिकार सुरक्षा परिषद और इंडियन बार असोसिएशन ने पीड़ितों को एक करोड़ रुपये अग्रिम मुआवजे (Interim Compensation) देने  की मांग की है। नई दिल्ली :- नागरिकों को गुमराह करके उन्हें टीकाकरण के लिए बाध्य करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तथा नागरिकों के मानवाधिकारों और मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए प्रत्येक  पीड़ित नागरिकों को कम से कम अग्रिम मुआवजा 1 करोड़ रुपये सरकार उन्हें देना और वह राशि आरोपियों से वसूल करने की मांग मानवाधिकार सुरक्षा परिषद के राष्ट्रिय महासचिव रशीद खान पठान तथा इंडियन बार असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अ‍ॅड. नीलेश ओझा ने की है।                                         अ‍ॅड. निलेश ओझा                                      राष्ट्रीय

सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार व्हॅक्सीन घेणे कोणावरही बंधनकारक नाही

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 ∆  सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार व भारत सरकारच्या निर्देशानुसार कोणताही अधिकारी किंवा डॉक्टर तुम्हाला कोरोनाची लस किंवा कोणतीच लस घेण्याकरीता जबरदस्ती करु शकत नाही. ∆    तुम्हाला लस घ्यावयाची नसेल तर तो निर्णय घेण्याच्या अधिकार तुमचा आहे.  ∆ ज्या नागरिकांना जबरदस्तीने, खोटे बोलून, फूस लावून किंवा पूर्ण माहिती न देता लस घेण्यास भाग पाडले असेल तर त्या नागरिकांना नुकसान भरपाई मागण्याचा अधिकार असल्याचा उच्च न्यायालयाचा निकाल.  ∆ पिडीत नागरिकांना प्रत्येकी १ कोटी रुपये तात्पुरती नुकसान भरपाईची मानव अधिकार सुरक्षा परिषद व इंडियन बार असोसिएशनची मागणी.      नवी दिल्ली:- नागरिकांना दिशाभूल करुन किंवा जबरदस्तीने लस घेण्यास लावणाऱ्या अधिकाऱ्यांविरुद्ध कायदेशीर कारवाई करुन पिडीत नागरिकांची फसवणूक करुन त्यांच्या मुलभूत मानवी हक्कांचे व घटनादत्त अधिकारांचे उल्लंघन झाल्याप्रकरणी प्रत्येक १ कोटी रुपये अंतरीम नुकसान भरपाई शासनाने द्यावी व ती रक्कम आरोपींकडून वसूल करावी अशी मागणी मानव अधिकार सुरक्षा परिषदेचे राष्ट्रीय महासचिव रशीद खान पठाण व इंडियन बार असोसिएशनचे राष्ट्रीय अध्यक्ष अ‍ॅड. निलेश ओझा य