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Showing posts from June, 2021

क्यों मैं और मेरे सदस्य कोरोना वैक्सीन का प्रायोगिक टीका (Experimental Vaccine) नही लेंगे ।

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  और कैसे मैं अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा विश्व के प्रसिद्ध डॉक्टरों द्वारा बताये गये प्रमाणीत, श्रेष्ठ और सुरक्षित इलाज से करूँगा !!!   एडवोकेट निलेश ओझा इंडियन बार असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और उपरोक्त विचार उनके शुभचिंतकों द्वारा बार बार पूछे जाने वाले सवाल के जवाब में उन्होंने रखे है।                              एडवोकेट निलेश ओझा                                   राष्ट्रीय अध्यक्ष                             इंडियन बार असोसिएशन # कारण 1 #   क्योंकि, मैं स्वस्थ हूँ और वैक्सीन की वजह से मर जाने का खतरा है। मेरे परिचित कई लोगों की मौत वैक्सीन लेने की वजह से हुई है।  [America’s Frontline Doctors White Paper on Covid-19 Experimental Vaccine]. Link:   https://img1.wsimg.com/blobby/go/99d35b02-a5cb-41e6-ad80-a070f8...

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और भारत सरकार के निर्देशानुसार कोई भी अधिकारी या डॉक्टर आपको कोरोना वैक्सीन या कोई अन्य वैक्सीन लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है

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∆ यदि आप टीका नहीं लगवाना चाहते हैं। तो, आपको यह निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है। ∆ उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है। कि, जिन नागरिकों को पूरी जानकारी के बिना टीकाकरण के लिए मजबूर किया गया है। टीका लगाया गया है। धोखा दिया गया है, या टीकाकरण के लिए मजबूर किया गया है। उन्हें मुआवजे की मांग करने का अधिकार है। ∆ मानवाधिकार सुरक्षा परिषद और इंडियन बार असोसिएशन ने पीड़ितों को एक करोड़ रुपये अग्रिम मुआवजे (Interim Compensation) देने  की मांग की है। नई दिल्ली :- नागरिकों को गुमराह करके उन्हें टीकाकरण के लिए बाध्य करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तथा नागरिकों के मानवाधिकारों और मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए प्रत्येक  पीड़ित नागरिकों को कम से कम अग्रिम मुआवजा 1 करोड़ रुपये सरकार उन्हें देना और वह राशि आरोपियों से वसूल करने की मांग मानवाधिकार सुरक्षा परिषद के राष्ट्रिय महासचिव रशीद खान पठान तथा इंडियन बार असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अ‍ॅड. नीलेश ओझा ने की है।                         ...

सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार व्हॅक्सीन घेणे कोणावरही बंधनकारक नाही

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 ∆  सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार व भारत सरकारच्या निर्देशानुसार कोणताही अधिकारी किंवा डॉक्टर तुम्हाला कोरोनाची लस किंवा कोणतीच लस घेण्याकरीता जबरदस्ती करु शकत नाही. ∆    तुम्हाला लस घ्यावयाची नसेल तर तो निर्णय घेण्याच्या अधिकार तुमचा आहे.  ∆ ज्या नागरिकांना जबरदस्तीने, खोटे बोलून, फूस लावून किंवा पूर्ण माहिती न देता लस घेण्यास भाग पाडले असेल तर त्या नागरिकांना नुकसान भरपाई मागण्याचा अधिकार असल्याचा उच्च न्यायालयाचा निकाल.  ∆ पिडीत नागरिकांना प्रत्येकी १ कोटी रुपये तात्पुरती नुकसान भरपाईची मानव अधिकार सुरक्षा परिषद व इंडियन बार असोसिएशनची मागणी.      नवी दिल्ली:- नागरिकांना दिशाभूल करुन किंवा जबरदस्तीने लस घेण्यास लावणाऱ्या अधिकाऱ्यांविरुद्ध कायदेशीर कारवाई करुन पिडीत नागरिकांची फसवणूक करुन त्यांच्या मुलभूत मानवी हक्कांचे व घटनादत्त अधिकारांचे उल्लंघन झाल्याप्रकरणी प्रत्येक १ कोटी रुपये अंतरीम नुकसान भरपाई शासनाने द्यावी व ती रक्कम आरोपींकडून वसूल करावी अशी मागणी मानव अधिकार सुरक्षा परिषदेचे राष्ट्रीय महासचिव रशीद खान पठाण व इंडियन बार अस...